अकेला
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र महाराष्ट्र पुलिस विभाग में हालिया हुए पुलिस अधिकारियों के तबादले पर अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन [ABI] ने एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट/न्यूज़ प्रकाशित की थी। उस रिपोर्ट/न्यूज़ में चुनाव आयोग के आदेश/निर्देश की धज्जियां उड़ाते हुए पुलिस अधिकारियों के तबादले किये जाने का खुलासा किया था। चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिदेशक, सभी पुलिस आयुक्त और सभी विशेष पुलिस महानिरीक्षक को तलब किया है। सभी को अपने-अपने अधीनस्थ किये गए तबादले की विस्तृत जानकारी लाने का निर्देश दिया है।
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी श्रीकांत देशपांडे ने 16 फरवरी 2024 को एक आदेश [कॉपी ABI के पास है] पारित कर 20 फरवरी 2024 की सुबह 11.30 बजे ओल्ड कस्टम हाउस के जिलाधिकारी कार्यालय में आने का आदेश दिया है। इसमें पुलिस महानिदेशक, सभी पुलिस आयुक्त और सभी पुलिस महानिरीक्षक को हाजिर रहने का आदेश दिया है। सभी अधिकारियों को हिदायत दी गई है कि 21 दिसम्बर 2023 से 15 फरवरी 2024 के मध्य जितने भी तबादले उन्होंने किये हैं, की डिटेल्स साथ लाएं। जिन अधिकारियों के तबादले किये हैं उनकी चार सालों की सेवा पुस्तिका और अन्य विस्तृत रिपोर्ट भी साथ में लाने का आदेश दिया है।
ABI ने 10 फरवरी 2024 को ठाणे महसूल क्षेत्र में हुए तबादले में अनियमितता पर एक विस्तृत न्यूज़ प्रकाशित की थी। अधिकारियों के नाम, कार्यकाल की अवधि भी प्रकाशित की थी। जैसे कि तबादले की प्रक्रिया में शामिल अतिरिक्त आयुक्त संजय जाधव, पुलिस उपायुक्त रूपाली अंबुरे, उनके उपायुक्त पति अविनाश अंबुरे, उपायुक्त विनय राठौड़, उपायुक्त विवेक पानसरे और उपायुक्त अमित काले, एसीपी कवियित्री गावित, इंस्पेक्टर महेश तरडे, इंस्पेक्टर विकास घोड़के और इंस्पेक्टर जीतेन्द्र राठौड़ के नाम का उल्लेख किया था। कायदे से इनका भी तबादला होना चाहिए था। नई जानकारी के अनुसार शेखर बागड़े 5 अक्टूबर 2017 से ठाणे महसूल क्षेत्र में कार्यरत हैं। उनका तबादला तो किया नहीं उलटे उन्हें पदोन्नति देकर ठाणे एंटी एक्सटॉरशन सेल में ही बैठा दिया। शेखर बागड़े डोम्बिवली के मानपाड़ा पुलिस स्टेशन में सीनियर इंस्पेक्टर थे तो पैसे के लिए डोम्बिवली को मच्छी बाजार बना दिया था। बहुत बदनाम हो गए थे। ठाणे अपराध शाखा [वागले इस्टेट] के इंस्पेक्टर विकास घोड़के 15 जून 2017 से ठाणे महसूल क्षेत्र में कार्यरत हैं। इसी तरह भिवंडी के नारपोली पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर भरत कामत को भी छः साल हो गए। इन पर भी संजय जाधव और रूपाली अंबुरे की नज़र नहीं पड़ी।
अनियमित तबादलों से नाखुश ठाणे, पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ और नागपुर के 32 अधिकारियों ने महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण [मैट] की शरण ली थी। मैट ने अधिकारियों की शिकायत सही ठहराते हुए सभी को उनके अपने-अपने स्थान पर बहाल कर दिया था। तबादलों में अनियमितता पाते हुए मैट ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई है।