राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल द्वारा पहली बार क्लोनिंग तकनीक से तैयार की गई गाय ‘गंगा’ के अंडाणुओं से दूसरे मादा पशु ने एक स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया है। NDRI अब इस नई बछड़ी के नाम को लेकर मंथन कर रहा है। यह केवल एक बछड़ी नहीं, बल्कि दुग्ध उत्पादन और पशुधन सुधार की दिशा में एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है।
इस शोध की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि जहां सामान्यत: एक पशु को हीट में आने से लेकर बछड़ा पैदा होने तक 33 से 36 महीने लगते हैं, वहीं इस क्लोन गंगा में यह प्रक्रिया केवल 27 महीनों में पूरी हो गई। यानी करीब नौ महीनों की बचत हुई। हीट में आने का समय भी सामान्य की तुलना में 8-10 माह कम रहा।
NDRI के निदेशक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन में नंबर एक स्थान पर है, लेकिन प्रति पशु औसत दुग्ध उत्पादकता अब भी काफी कम है। उदाहरण के तौर पर, भारत में एक गाय औसतन प्रतिदिन 3.2 किलो दूध देती है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 27 किलो तक है। इसी खाई को पाटने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं।
डॉ. धीर सिंह ने बताया कि 16 मार्च 2023 को NDRI में डॉ. नरेश सेलोकर और डॉ. मनोज कुमार सिंह की टीम ने क्लोन तकनीक से देश की पहली गिर नस्ल की गाय ‘गंगा’ को जन्म दिया था। गंगा पूर्णत: स्वस्थ रही और उसके व्यवहार, दूध उत्पादन और जैविक गतिविधियों की निगरानी की जाती रही।
गंगा के 18 महीने की उम्र में ही हीटिंग की स्थिति आई, जो अपने आप में असाधारण उपलब्धि है। इस स्थिति में उससे ओपीयू तकनीक के जरिये 50 अंडाणु (Eggs) प्राप्त किए गए। इनमें से 12 भ्रूण सफलतापूर्वक विकसित हुए, जिन्हें पांच विभिन्न नस्लों की गायों में प्रत्यारोपित किया गया। परिणामस्वरूप, एक शाहीवाल गाय ने गिर नस्ल की बछड़ी को जन्म दिया है।
NDRI अब इस नई बछड़ी के नाम को लेकर मंथन कर रहा है। यह केवल एक बछड़ी नहीं, बल्कि दुग्ध उत्पादन और पशुधन सुधार की दिशा में एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है।