अकेला
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (CBI) की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) इकाई ने सांताक्रूज़ इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र (SEEPZ) के दो अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर (FIR) दर्ज कराई है। हालाँकि यह FIR दर्ज कराने में सीबीआई को सात साल लग गए। करप्शन की इस न्यूज़ को सबसे पहले अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (ABI) ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
SEEPZ के असिस्टेंट डेवलपमेंट कमिश्नर हरेश दहिलकर की शिकायत पर सीबीआई ने 26 नवम्बर 2024 को एनपीएस मोंगा, वीपी शुक्ला और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। एनपीएस मोंगा तब SEEPZ की विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) इकाई में डेवलपमेंट कमिश्नर थे और वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त हो गए। विजय प्रकाश शुक्ला उर्फ़ वीपी तब ज्वाइंट डेवलपमेंट कमिश्नर और इस्टेट मैनेजर थे।
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी बिनोद अग्रवाल ने 30 नवंबर 2017 को सबसे पहले इस भ्रष्टाचार की शिकायत CBI, CVC और CAG से की थी। बिनोद अग्रवाल शिकायत को फॉलो करते रहे और रिमाइंडर भेजते रहे। 22 सितम्बर 2020 की उनकी शिकायत को CBI, CVC और CAG ने संज्ञान में लिया और जांच शुरू कर दी। SEEPZ के असिस्टेंट डेवलपमेंट कमिश्नर हरेश दहिलकर को पार्टी बनाया और उनकी ओपिनियन (शिकायत) ली। 15 नवम्बर 2022 को दहिलकर की शिकायत पर CBI ने जांच शुरू की। तब ABI ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। आश्चर्य की बात है कि बिनोद अग्रवाल ने तब के डेवलपमेंट कमिश्नर IAS बलदेव सिंह को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना था और उनको ही टार्गेट करते हुए शिकायतें की थीं। परन्तु बलदेव सिंह अपनी IAS होने की पहुँच का इस्तेमाल करते हुए बच गए और उनकी जगह एनपीएस मोंगा चपेट में आ गए।
शिकायत एवं FIR के अनुसार वर्ष 2016-2017 में एनपीएस मोंगा और वीपी शुक्ला ने एक साजिश के तहत स्टैण्डर्ड डिजाइण्ड फैक्ट्रीज (SDF) की 1 से 6 बिल्डिंग, जेम्स एन्ड ज्वेलरी (G&J) की 1 से 3 बिल्डिंग और SEEPZ की निवासी बिल्डिंग का मेजर स्ट्रक्चरल रिपेयर का काम मेसर्स नेशनल को-ऑपरेटिव कंस्ट्रक्शन एन्ड डेवेलपमेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (NFCD) को एलॉट कर दिया। इसके लिए इन अधिकारियों ने किसी भी प्रकार का रूल्स- रेगुलेशंस फॉलो नहीं किया। टेंडर तक नहीं निकाला। यहां तक कि SEEPZ-SEZ प्रशासन को भी अँधेरे में रखा और काम शुरू करवा दिया। इतना ही नहीं 74.85 करोड़ रुपये के इस वर्क आर्डर में से 56.14 करोड़ रुपये एडवांस भी दे दिए। मजेदार बात है कि जिस NFCD कंपनी को यह काम सौंपा गया था वह मल्टी इस्टेट को-ऑपरेटिव्स सोसायटी एक्ट-2002 में डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर एन्ड को-ऑपरेशन, मिनिस्ट्री एग्रीकल्चर, गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के तहत रजिस्टर्ड है। जांच के दौरान यह भी पाया गया कि NFCD काम भी घटिया तरीके की कर रही थी।
इस घोटाले की शिकायत CAG ने संसद में भी रखा। पब्लिक अकाउंट कमिटी (2023-24) की संस्तुति पर सीबीआई ने SEEPZ-SEZ अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। FIR की प्रति ABI (abinewz.com) के पास है।