अकेला
महाराष्ट्र के नासिक जिले के मुस्लिम बहुल इलाके मालेगाँव में वर्ष 2008 में हुए बम ब्लास्ट पर अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (ABI) अपनी इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्ट के भाग-3 में यह खुलासा कर रहा है कि सोहराबुद्दीन अनवर हुसेन शेख भारत के भगोड़े आतंकवादी दाऊद इब्राहिम कासकर का सबसे बड़ा हथियारों का हैंडलर और सप्लायर था। इसके पहले बिहारी बाहुबली मोहम्मद शहाबुद्दीन, उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद दाऊद के लिए हथियार सप्लाई का काम करते थे।
वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद दाऊद इब्राहिम आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल कायदा के साथ मिलकर भारत में अशांति फ़ैलाने में लग गया था। तब बिहार में राजद पार्टी के सांसद रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन और उत्तर प्रदेश के माफिया रहे मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद दाऊद के सबसे बड़े पंटर थे। पाकिस्तान अथवा अन्य देशों से भेजे गए हथियारों को मोहम्मद शहाबुद्दीन, मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद रिसीव करते थे और सम्बंधित व्यक्ति तक पहुंचाते थे। वर्ष 2001 में दाऊद इब्राहिम और मोहम्मद शहाबुद्दीन की मक्का में मुलाकात भी हुई थी। अतीक अहमद की हत्या के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने यह खुलासा किया था कि दाऊद और आईएसआई पाकिस्तान बॉर्डर से ड्रोन के जरिये भारत में जो हथियार भेजते हैं उसे अतीक अहमद ही रिसीव करता था और उसे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों तक पहुंचाता था। पहले मुख्तार अंसारी यह काम करता था बाद में उसने अतीक अहमद की दाऊद से बात करवा दी।
इन सबके बाद सोहराबुद्दीन का रोल आता है। मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में अपराध करने वाले सोहराबुद्दीन के खिलाफ 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं। मूलतः मध्य प्रदेश के मालवा, उज्जैन के पास झिरन्या गांव के रहने वाले सोहराबुद्दीन के घर के कुएं से वर्ष 1995 में 32 एके-47 असॉल्ट राइफलें मिली थीं। तब बताया गया था कि ये हथियार दाऊद और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई ने वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के परिप्रेक्ष्य में भारत में अशांति फ़ैलाने के लिए भेजे थे। तब सोहराबुद्दीन दाऊद के गुर्गे शरीफ खान उर्फ़ छोटा दाऊद, अब्दुल लतीफ़, रसूल परती और ब्रजेश सिंह के साथ मिलकर काम करता था। इसके बाद दाऊद के कहने पर सोहराबुद्दीन हथियारों की खेप रिसीव कर आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेताओं को पहुँचाने लगा था। सोहराबुद्दीन पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की नज़र में ज़्यादा आ गया तो वह गुजरात से हैदराबाद शिफ्ट हो गया। हैदराबाद से गुजरात आते 26 नवंबर 2005 को वह पुलिस के साथ अहमदाबाद में मुठभेड़ में मारा गया।
वर्ष 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद हिंदुत्व और भारतीय जनता पार्टी फॉर्म में आ गए। हिंदुत्ववादी नेताओं का खात्मा करने, हिंदुत्ववादी संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए पाकिस्तान, आईएसआई ने दाऊद और इस्लामिक प्रचारक डॉ. जाकिर नाईक को यह जिम्मेदारी दी। दाऊद ने इसके लिए ज्यूपिटर फाइनेंस, न्यू स्टार इन्वेस्टमेंट और वहाब रिसोर्सेज नाम से पाकिस्तान में कंपनियां खोलीं और इनके जरिये कजाकिस्तान, अज़रबैजान और ताजिकिस्तान में तेल एवं कोयला खनन के कारोबार में निवेश किया। दाऊद से पहले नक्लसवादी इस व्यवसाय में निवेश करते थे। यहां से होने वाली आय से दाऊद पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान, युगोस्लावाक़िया और मिडिल ईस्ट देशों में निर्मित हथियार खरीदकर सोहराबुद्दीन, डॉ. गणपति और सीमा ईरानी जैसे मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नेताओं को हथियार पहुँचाने लगा। ये हथियार लाल आतंक के साथ-साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फ़ोर्स, खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट और इंटरनेशनल सिख यूथ तक पहुंचने लगे। इन सबका एक ही मकसद था भारत में अशांति फैलाना।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का भारत में लाल आतंक फैलाना, भारत को अस्थिर करते रहना नया नहीं है। वर्ष 1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में डेनमार्क के नील्स होल्क ने कार्गो प्लेन से चार टन रॉकेट लॉन्चर, असॉल्ट राइफलें, मिसाइलें गिराई थीं। नील्स होल्क ये हथियार भारतीय सेना से लड़ने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नेताओं के लिए भेजा था। देश विरोधी होने के साथ साथ ये गैंगस्टर हिंदुत्व विरोधी भी थे। उत्तर प्रदेश में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय (29 नवम्बर 2005) की 400 गोलियां मारकर हत्या करने पर भी शूटर मुन्ना बजरंगी को दिली सुकून नहीं मिला। उसने चाकू से कृष्णानंद राय की शिखा (चोटी) काट डाली। इतना ही नहीं जेल में बंद अपने आका मुख्तार अंसारी को फोन पर यह खुशखबरी भी दी कि उसने कृष्णानंद राय की चोटी काट दी।
कांग्रेस पार्टी ने पहले नेपाल में हिन्दू राज खत्म करवा दिया। फिर भारत में हिन्दू राज ख़त्म करने के मिशन पर लग गई। इसमें कांग्रेस, आईएसआई, दाऊद इब्राहिम ने मिलकर मालेगांव में बम ब्लास्ट करवा दिया। दाऊद इब्राहिम तब तक ग्लोबल टेररिस्ट घोषित हो चुका था। यूनाइटेड नेशन ने दाऊद पर 25 मिलियन डॉलर और भारत की शीर्ष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था। बावजूद इसके दाऊद वर्ष 2005 में मालेगाँव आया। मालेगांव में बम ब्लास्ट कर हिंदुत्ववादी नेताओं को ब्लास्ट में फंसाकर बदनाम करने की प्लानिंग कर चला गया।
मुम्बई से 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के उपनगर मालेगाँव में 29 सितम्बर 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में ब्लास्ट हो गया था. इसमें 6 लोग मारे गए थे और 100 लोग घायल हो गए थे. क्रमशः…
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