डस्टबिन में फेंकी चाय पत्ती में कलर मिलाकर बेचने वाले मुकेश त्रिपाठी ने अब रिश्तेदार से की ढाई करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, एफआईआर दर्ज

मुकेश त्रिपाठी

मुम्बई के पश्चिमी उपनगर मालाड पुलिस ने मुकेश त्रिपाठी नाम के एक पेशेवर चीटर के ख़िलाफ़ चीटिंग की एफआईआर दर्ज की है. मुकेश त्रिपाठी ने इस बार ढाई करोड़ रुपये की यह धोखाधड़ी अपने रिश्तेदार अमर मिश्रा से की है. दुकानदार चाय बनाने के बाद पत्तियों को डस्टबिन में फेंक देते हैं. मुकेश त्रिपाठी उन पत्तियों को उठवा लेता है और उसमें रंग मिलाकर बाजार में एवरग्रीन नाम से वापस बेच देता है.

अमर मिश्रा की शिकायत पर मालाड पुलिस ने पिछले सप्ताह मुकेश त्रिपाठी के ख़िलाफ़ भादंसं की धारा 420 और 406 के तहत एफआईआर (संख्या- 0759/2024) दर्ज की है. एफआईआर की कॉपी ABI के पास है.

मुकेश त्रिपाठी मूलतः उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ ज़िले के ग्राम- तिवरानन का पुरवा, पोस्ट- सगरा सुंदरपुर का रहने वाला है. मुम्बई में वह 2202, आकांक्षा-अमन टावर, वर्ली में रहता है. उसका दूसरा पता फ्लैट-7, बिल्डिंग-15, वर्ली शिवशाही को-ऑपरेटिव हाऊसिंग सोसायटी, शिवाजीनगर, वर्ली भी है. उसका मोबाइल नंबर 9769300018, 7977869088 और 8425961818 है.

अमर मिश्रा

वर्ष 2018 में मुकेश त्रिपाठी ने मालाड में रहने वाले अपने रिश्तेदार अमर मिश्रा को बताया कि उसने शिवशाही वाले फ्लैट के लिए जनता सहकारी बैंक से लोन लिया है. किश्त न भर पाने की वज़ह से बैंक वाले फ्लैट की नीलामी करने जा रहे हैं. इसलिए उसे एक करोड़ रुपये की सख्त जरूरत है. अमर मिश्रा को उसकी स्थिति पर दया आ गई. अमर मिश्रा ने 36 प्रतिशत वार्षिक व्याज की दर से उसे एक करोड़ रुपये दे दिए. कुछ दिन बाद मुकेश ने जरूरी काम बताकर, रो-धो कर अमर मिश्रा से 30 लाख रुपये और ले लिए. एक करोड़ तीस लाख रुपये तीन साल में रिटर्न करना था. व्याज भी देना था. परंतु ऐसे व्यवहार में जैसा होता है मुकेश त्रिपाठी ने भी वैसा ही किया. अमर मिश्रा से बातचीत बंद कर दी. कुछ माह बाद मोबाइल फोन भी ब्लॉक कर दिया.

एक मुलाकात में मुकेश त्रिपाठी के जीजा हरीश मिश्रा ने अमर मिश्रा को बताया कि मुकेश त्रिपाठी का कहना है कि वह अमर मिश्रा को रुपये वापस नहीं करेगा. वापस करने के लिए नहीं लिया था. यहां तक कि उसने अब तक जितने लोगों से रुपये उधार लिए हैं किसी को भी वापस नहीं किया है.

अमर मिश्रा रुपये वापस लेने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करते रहे. जब लगा कि अब वह नहीं देगा तो बोरिवली कोर्ट में 30 लाख रुपये के लिए चेक अनादर का केस कर दिया. बाकी 2, 70, 74, 652 रुपये के लिए मालाड पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करा दी.

मुकेश त्रिपाठी आदतन चीटर है. उसने पांच लड़के रखे हैं. ये लड़के बड़े-बड़े चाय होटलों अथवा चाय टपरियों के पास जाते हैं. चायवाला यूज की हुई पत्तियों को डस्टबिन में फेंक देता है. ये लड़के उन पत्तियों को ले लेते हैं. मुकेश त्रिपाठी उनमें कलर लगाकर, अच्छे से पैक कर एवरग्रीन चाय नाम से किराना दुकानदारों को वापस बेच देता है.

इस प्रक्रिया को मुकेश त्रिपाठी के एक कर्मचारी ने ABI को करके दिखाया था. तब ABI की इन्फॉर्मेशन पर FDA ने जहां चाय में कलर की मिक्सिंग और पैकेजिंग होती थी, बीडीडी चाल, वर्ली के ठिकाने पर छापा मारा था. लेकिन भनक लग जाने पर मुकेश त्रिपाठी ने उस दिन काम बंद कर दिया था. बाद में धंधे को दूसरी किसी अज्ञात जगह पर शिफ्ट कर दिया.

चीटिंग, चाय की पत्ती में मिक्सिंग के अलावा मुकेश त्रिपाठी टारगेट नाम से सिक्युरिटी कंपनी चलाता है. चाय पत्ती के मिक्सिंग के धंधे में उसका भाई मनोज त्रिपाठी हाथ बंटाता है.

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