मालेगाँव ब्लास्ट-भगवा आतंकवाद भाग -2 : माओवादी सीमा ईरानी से भी डांग के जंगल में मीटिंग की थी दाऊद इब्राहिम ने !

 

अकेला

नासिक जिले के मुस्लिम बहुल इलाके मालेगाँव में वर्ष 2008 में हुए बम ब्लास्ट पर अकेला ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन (ABI) अपनी इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है। यह रिपोर्ट क्रमशः (सीरीज़) के रूप में है। प्रथम अंक में ABI ने एक्सपोज्ड किया कि दाऊद इब्राहिम मालेगाँव आया था। यहां इसने अपनी लेडी डॉन बहन हसीना पारकर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नेता डॉ. गणपति के साथ मीटिंग कर मालेगाँव में बम ब्लास्ट करके देशभक्त और हिंदुत्ववादी शख्सियतों को हिन्दू आतंकवादी घोषित करना और नेपाल के रास्ते भारत में आनेवाले हथियारों को माओवादियों तक पहुंचाना, को अंतिम रूप दिया था। अब एक और जानकारी मिली है कि दाऊद इब्राहिम ने डांग के जंगल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नेता सीमा ईरानी से भी मीटिंग की थी।

25 सितम्बर 2024 को ABI ने सीरीज़ की पहली ब्रेकिंग न्यूज़ ‘दाऊद इब्राहिम वर्ष 2005 में मालेगाँव आया था, दाऊद, हसीना पारकर और डॉ. गणपति ने मालेगाँव में बैठकर की थी मालेगाँव ब्लास्ट और भगवा आतंकवाद की प्लानिंग !’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। अब इसमें अधिक जानकारी यह भी मिली है कि दाऊद ने माओवादी नेता सीमा ईरानी से भी मीटिंग की थी। यह मीटिंग गुजरात के डांग के जंगल में हुई थी। तब वर्ष 2005 था और महीना जून का था।

सीमा ईरानी ठाणे जिले के कसारा के जंगल में रहकर आदिवासियों का ब्रेन वॉश कर, आर्थिक मदद कर उन्हें माओवादी बनाने के मिशन में लगी है। इसमें काफी हद तक वह सफल भी है। कम से कम आठ बंदूकधारी माओवादी सीमा ईरानी की सुरक्षा करते रहते हैं। ABI को सीमा ईरानी के लोकेशन (कसारा के जंगल में) की जानकारी है। ABI किसी (पुलिस अथवा केंद्रीय एजेन्सी) को भी उस लोकेशन तक पहुंचा सकता है। सीमा ईरानी का पति डॉ. श्रीधरन ईरानी भी माओवादी नेता है। फ़िलहाल वह जेल में बंद है। सीमा ईरानी का ख़ास दोस्त कबोड़ गांधी है। यह भी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का नेता है। पुलिस और एजेंसियों के रडार पर है।

दाऊद इब्राहिम कराची से समुद्र के रास्ते गुजरात के धरमपुर आया। धरमपुर से सापूतारा और फिर सड़क मार्ग से मालेगांव पहुंचा। मालेगांव पहुँचने के पहले उसने गुजरात के डांग जिले के जंगल में कुछ लोगों से मीटिंग की। उनमें से एक सीमा ईरानी भी थी। उस मीटिंग में दाऊद इब्राहिम ने बताया कि नेपाल में पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने माओवादियों को मुख्यधारा में ला दिया है। मतलब माओवादियों को सरकार में शामिल कर लिया है। पाकिस्तान से आने वाले हथियार पहले नेपाल में माओवादियों को आते थे। फिर वे सीमा पार कर भारत में माओवादियों को पहुंचाते थे। सरकार में शामिल होने से वह बंद हो गया है। दाऊद ने सीमा ईरानी को यह जिम्मेदारी दी कि पाकिस्तान से सीधे हथियार अब भारत में उसके (सीमा ईरानी) के पास आएंगे और अब वह माओवादियों को पहुंचाएगी। इसी मीटिंग में दाऊद ने यह भी खुलासा किया कि उसका बेहद ख़ास बंदा सोहराबुद्दीन इसी काम में लगा हुआ है। जरूरत पड़ने पर वह सीमा ईरानी की मदद करेगा।

डांग के जंगल में सीमा ईरानी और अन्य से मीटिंग के बाद दाऊद इब्राहिम सड़क मार्ग से मालेगाँव आया। यहां अपनी बहन हसीना पारकर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) नेता डॉ. मुपल्ला लक्ष्मणा राव उर्फ राधाकृष्ण उर्फ मलन्ना उर्फ डॉ. गणपति से मीटिंग की। मालेगाँव की मीटिंग में मालेगाँव में खुद बम ब्लास्ट कर हिंदुत्ववादी संगठनों और हिंदुत्ववादी शख्सियतों पर आरोप मढ़ने की योजना को अंतिम रूप दिया। लगभग दो घंटे तक मालेगाँव में मीटिंग के बाद दाऊद इब्राहिम सड़क मार्ग से नासिक, घोटी, कसारा, भिवंडी, ठाणे के घोड़बंदर रोड और अहमदाबाद हाइवे को टच करते हुए पालघर समुद्र तट पर चला गया। वहां से वह समुद्र के रास्ते से कराची चला गया। वन्यजीवों की तस्करी करनेवाला एक तस्कर धरमपुर से लेकर पालघर तक दाऊद इब्राहिम को मार्ग बता रहा था।

मुम्बई से 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के उपनगर मालेगाँव में एक मस्जिद के पास 29 सितंबर 2008 को मोटरसाइकिल में ब्लास्ट हो गया था. इसमें 6 लोग मारे गए थे और 100 लोग घायल हो गए थे. क्रमशः…

इस न्यूज़ के प्रायोजक हैं
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