सुरेश बुधरमल कालानी उर्फ़ पप्पू
हेडिंग पढ़कर एकबारगी आपकी समझ में कुछ नहीं आया होगा। इसलिए कि इट हैपेन्स ओनली इन उल्हासनगर। हालाँकि चुनाव जीतने प्रत्येक कैंडिडेट्स, पार्टियां सिमिलर हथकंडा अपनाते हैं। सिंधी वोट खींचने कालानी ने भी पुराना यानी सहानुभूति वाला हथकंडा अपनाया। परन्तु इस बार भाजपाई प्रदीप रामचंदानी उर्फ़ फाइल चोर को यूज किया।
ये उल्हासनगर है। यहां कभी भी यह स्पष्ट नहीं किया जा सकता कि कौन किसका आदमी है। कौन किसके लिए काम कर रहा है। कोई रहता किसी पार्टी में है। खाता किसी पार्टी की है। गाता है किसी पार्टी की। बुराई किसी पार्टी की करता है। सब गड्ड-मड्ड रहता है। परन्तु कोई कंट्रोवर्सी हो, कोई अपराध हो, चुनाव हो तो सेंटर में रहता कालानी महल है। पिछले कुछ दिनों से शहर में यूपी, बिहार, इन्कॉउंटर, तड़ीपार, योगी आदित्यनाथ, मिट्टी में मिला देंगे, गद्दार जैसे शब्द हवा में तैरे। ये शब्द निकले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उल्हासनगर जिला अध्यक्ष प्रदीप रामचंदानी के मुंह से। परन्तु अंदरखाते खबर यह है कि यूपी, बिहार, इन्कॉउंटर, तड़ीपार, योगी आदित्यनाथ, मिट्टी में मिला देंगे, गद्दार जैसे शब्द प्रदीप रामचंदानी ने निकाले अपने मुंह से परन्तु निकलवाए पप्पू कालानी ने।
सिंधी वोट हासिल करने के लिए पप्पू कालानी सहानुभूति का एक गेम खेलता है। पप्पू कालानी ने शुरुआत से एक माहौल बनाकर रखा है कि सिंधी समुदाय का मसीहा सिर्फ वही है। मराठियों के आतंक से सिंधियों की रक्षा वही कर सकता है। सिंधियों की रक्षा वह तभी कर सकता है जब पॉवर में रहेगा। सत्ता में रहेगा। हालाँकि पॉवर में रहते पप्पू कालानी सिर्फ सिंधी व्यवसायियों को लूटता है। शहर की ऐसी-तैसी करता है।
इस बार भी उसने एक चाल चली। प्रदीप रामचंदानी के मुंह से कहलवा दिया कि अगर भाजपा सत्ता में आयी तो पप्पू कालानी का इन्कॉउंटर हो जाएगा। शहर से तड़ीपार हो जाएगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गद्दार कह प्रदीप रामचंदानी ने शिवसैनिकों को नाराज़ कर ही दिया है। इसका भी फायदा पप्पू कालानी के पुत्र-उम्मीदवार ओमेश कालानी उर्फ़ ओमी भाई को मिलेगा।
थोड़ा मामला स्पष्ट कर दें कि प्रदीप रामचंदानी है तो भाजपा पार्टी में परन्तु माना जाता है पप्पू कालानी का आदमी। अभी कुछ ही दिन पहले भाजपा से टिकट दिलाने वह ओमी कालानी को लेकर भाजपा नेता रवींद्र चव्हाण के पास गया था। यह भी माना जाता है कि पप्पू कालानी के पंटर कमलेश निकम उर्फ़ पनौती के साथ कर्जत के किसी प्रोजेक्ट में प्रदीप रामचंदानी पार्टनर भी है। प्रदीप रामचंदानी का एक नाम फाइल चोर भी है।
अब सब गड्ड-मड्ड वाली बात। कालानी गैंग में अचानक एक पंटर का उदय हुआ। अपराध की दुनिया में नाम चमका कमलेश निकम का। ये बन्दा कालानी के लिए पनौती भी साबित हुआ। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में ज्योति कालानी उर्फ़ भाभी की हार इसी पनौती की वजह से हुई थी। उस समय के उल्हासनगर के राजनैतिक पंडितों ने बताया था कि पनौती ने भाजपा से 15 लाख रुपये ले लिए थे। इसके बदले अपने पैनल नंबर-7 में ज्योति कालानी के लिए वोट मांगे ही नहीं। जहां-जहां पनौती के समर्थक थे ज्योति कालानी को वहां-वहां से वोट मिले ही नहीं। प्रतिद्वंद्वी भाजपा के कुमार आयलानी को वहां-वहां से ज्यादा वोट मिले। एक और बड़ी बात। पनौती को भाजपा से 15 लाख रुपये दिलाये थे मनोज लासी ने। पहले भी मनोज लासी कालानी महल का दरबान था। आज भी है। बीच में पप्पू कालानी जेल गए तो ओमी कालानी ने उसे निकाल दिया था तो वह भाजपा में चला गया था। भाजपा में रहते हुए भी मनोज लासी पनौती के संपर्क में था। यह भी बताते हैं कि पनौती ने दूसरे उम्मीदवार भगवान भालेराव को फोन कर सलाह दी थी कि तुम पैनल 7 में रुपये मत चलाना। मैं भी नहीं चला रहा हूँ। इससे कुमार आयलानी का रास्ता साफ़ हो गया। मनोज लासी अब तो कालानी महल में ही रहता है। पप्पू कालानी चाहें तो उससे क्रॉस चेक कर लें।
कमलेश निकम पर इतने आपराधिक मामले दर्ज हैं कि उसे आसानी से शहर से तड़ीपार किया जा सकता है। कुमार आयलानी के गुट ने कोशिश भी की थी कि चुनाव के पहले वह तड़ीपार हो जाये। एक समय था कि कालानी महल के बगल से गुजरते कोई उधर ताकता भी नहीं था लेकिन कमलेश निकम की वजह से आरपीआई के लोगों ने कालानी महल में घुसकर कमलेश निकम की दिल से पिटाई कर दी थी। कालानी का रुतबा कुछ कम कर दिया। है न यह बन्दा कालानी महल के लिए पनौती।