फ़िरोज़ शेख
अकेला
बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीशद्वय- ए. एस. गडकरी और कमल काथा– की खंडपीठ ने ठाणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (टीएमसी) के अतिरिक्त आयुक्त (एन्क्रोचमेंट) को ऐतिहासिक, सख्त और मजेदार आदेश दिया है। खंडपीठ का आदेश है कि अतिरिक्त आयुक्त रिट पिटीशन खुद पढ़े, इन्फॉर्मेशन इकठ्ठा करे और जवाब भी खुद फाइल करे। किसी जूनियर ऑफिसर से जवाब फाइल न करवाए।
मुंबई के खार में रहनेवाला भाटी गैंग (समीर इकबाल भाटी और नईम इकबाल भाटी) मुम्ब्रा के शील-डायघर में नसम–दारुल–अमान नाम से बिल्डिंग बना रहा है। लगभग 100 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट 100 प्रतिशत अवैध है। खतरनाक है। कमजोर है। बिल्डिंग अभी भी अंडर कंस्ट्रक्शन है परन्तु बिहार के किसी नवनिर्मित ब्रिज की तरह कभी भी गिर सकती है। चूँकि बिल्डिंग मुम्ब्रा में बन रही है और भाटी गैंग बना रहा है तो चोरी, चीटिंग, बेईमानी, धोखाधड़ी तो होगी ही। ये सब कॉमन बात है। भाटी गैंग ने सबसे पहले जमीन मालिक मूसा रशीद खान (अब मृत) को धोखा दिया। मूसा रशीद खान की सलाह पर बिल्डिंग के सोल सेलिंग कॉन्ट्रैक्टर फिरोज शेख ने पता किया तो मालूम पड़ा कि भाटी गैंग ने सच में मूसा रशीद खान के साथ चीटिंग की है।
नईम भाटी
फिरोज शेख शील डायघर में ही रहते हैं। मुम्ब्रा प्रॉपर्टी ओनर नाम की कंपनी के मालिक हैं। वे नए बन रहे प्रोजेक्ट की सेलिंग का कॉन्ट्रैक्ट लेते हैं। नसम-दारुल-अमान प्रोजेक्ट की सेलिंग का कॉन्ट्रैक्ट भी फिरोज शेख के पास है। फ़िरोज़ शेख ने अधिकृत आर्किटेक्ट से प्रोजेक्ट की वैधता/अवैधता की जांच कराई। आर्किटेक्ट ने 550 पेज की अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि प्रोजेक्ट पूरी तरह अवैध है।
फिरोज शेख ने 24 जनवरी 2024 को ठाणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में नसम-दारुल-अमान बिल्डिंग को तोड़ने की मांग को लेकर शिकायत कर दी। कॉर्पोरेशन ने फिरोज शेख की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया। फिर 16 फरवरी 2024 को फिरोज शेख ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पिटीशन फाइल कर दी। वकील हायर किया घनश्याम उपाध्याय को। यह बात सबको मालूम है कि घनश्याम उपाध्याय बॉम्बे हाईकोर्ट के चुनिंदा डैशिंग, ईमानदार और बड़े वकीलों की श्रेणी में आते हैं। घनश्याम उपाध्याय के बहस पर 11 अक्टूबर 2024 को न्यायाधीशद्वय-ए. एस. गडकरी और कमल काथा- ने अतिरिक्त आयुक्त को आदेश दिया कि वह खुद रिट पिटीशन पढ़े। कॉर्पोरेशन से डिटेल्स इन्फॉर्मेशन कलेक्ट करे। खुद रिप्लाई फाइल करे। और अपने पावर का यूज कर किसी जूनियर से रिप्लाई फाइल न करवाए।
समीर भाटी
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को लोग ऐतिहासिक, सख्त और मजेदार बोल रहे हैं। कारण कॉर्पोरशन के अधिकारी ऐसे प्रोजेक्ट में दबाकर पैसा खा लेते हैं। फिर उसे प्रोटेक्ट करना अपना फ़र्ज़ समझते हैं। अवैध निर्माण को बचाने हर हथकंडा अपनाते हैं। इस मामले में तो अतिरिक्त आयुक्त संदीप मालवी फंस गया। संदीप मालवी गया काम से। कामचोरी नहीं कर पायेगा। पिटीशन पढ़ेगा। इन्फॉर्मेशन इकठ्ठा करेगा। रिप्लाई भी खुद फाइल करेगा। जूनियर ऑफिसर से रिप्लाई फाइल करवा अपनी जान नहीं बचा पायेगा। बताते हैं संदीप मालवी ने इस प्रोजेक्ट में 25 लाख रुपये खाया है।